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लेखनी कहानी -26-Jul-2022 Barsaat (Love ♥️ and tragedy ) episode 4



ये क्या हाल बनाया  है तुम लोगो ने कही बाहर बारिश तो नही हो रही है। हंशित ने खिड़की का पर्दा हटा  कर  देखा  तो बाहर धूप खिली हुयी थी ।


'कुछ  नही यार बस  ऐसे ही गाड़ी कीचड में गिर गयी  थी और हम गंदे हो गए थे। तेरे पास एक्स्ट्रा कपडे तो है ना जाते जाते वापस कर जाएंगे " लव ने कहा


"जाओ जाकर नहा लो पहले मैं जब तक कपडे निकाल कर लाता हूँ अलमारी से और हाँ,श्रुति नही आयी।" हंशित ने पूछा


"ऐसा भला हो सकता है की शैतानो की टोली जमे और मैं उसमे शामिल ना हूँ " श्रुति वहा आ पहुंची और हंशित की बात काटते हुए बोली।


अच्छा अब तुम लोग तैयार हो जाओ नीचे खाने पर सब इंतज़ार कर रहे है।

"यार मुझे बहुत भूख लगी है जल्दी करो तुम सब लोग आंटी के हाथ के खाने की खुशबू मुझे यहाँ तक आ रही है " लव ने कहा


सब लोग नहा धोकर नीचे आ रहे थे।

खाने की मेज लगी थी। और उस पर रुपाली जी,हेमलता जी और रजनी बैठे थे।

"तुम लोगो ने तो अभी से बरसात की याद दिला दी भीग कर आ गए " रुपाली जी ने कहा

बरसात का नाम सुन कर हंशित के कदम अपने आप रुक गए। सब लोगो ने रुपाली की तरफ देखा।

रुपाली जी बरसात का नाम हंशित के सामने लेकर काफी शर्मिंदा सी हुयी और बात को टालने के लिए बोली " हंशित बेटा आओ यहाँ बैठो देखो मेने तुम्हारे लिए  वेजिटेरियन कबाब बनाये है खा कर देखो "

वहा थोड़ी देर के लिए ख़ामोशी छा गयी लेकिन तब ही श्रुति ने ख़ामोशी को खत्म करते हुए कहा "भाई लोगो अब बैठ भी जाओ पेट में चूहे कूद रहे है भूख के मारे सामने देखो कितना सारा खाना रखा है वो भी भाभी और आंटी के हाथ का बना हुआ मैं तो बैठ रही हूँ खाना खाने तुम लोग यूं ही खड़े रहो "


उसकी बात सुन सब लोग कुर्सी पर बैठ गए और खाना निकालने लगे। लेकिन हंशित कही खो सा गया था काफी देर बाद वो सही हुआ।

"आंटी खाना लाजवाब बना है, आपके हाथ चूमने का मन कर रहा है हंशित यार तू कितना लकी है जो तू रोज़ इतने मज़े मज़े के खाने खाता है अपनी माँ और भाभी के हाथ के " लव  ने कहा


"ये सब  तुम लोगो की पसंद के खाने बने है  खूब  पेट भर के खाओ माँ और भाभी ने अपने हाथ से बनाये है  " हंशित  ने कहा

"आंटी  आपके हाथ  का खाना  खा कर मुझे  अपनी माँ के हाथ के बने  खाने  याद आ जाते है वो भी  ऐसे ही खाने बनाती  थी  मेरे लिए जब मैं छोटा था" लव  ने कहा

"बेटा सब  की माये एक जैसी ही होती है  " हेमलता  जी ने कहा


"नही दादी सब  इतने ख़ुशक़िस्मत  नही होते कुछ  मेरी तरह बदनसीब भी होते है  जिनकी माएँ जिन्दा होते हुए भी वो माँ का प्यार नही पा सकते , सब  माएँ एक सी नही होती कुछ  बच्चों की माएँ मेरी माँ जैसी स्वार्थी भी होती है  जो अपने स्वार्थ में आकर किसी दूसरे  शख्स  को अपनी ज़िन्दगी में ले आती है  उनके लिए  अपने बच्चों से ज्यादा कोई दूसरा  अहम होता है । दादी मेरी माँ ज़िंदा होते हुए भी मेरे पास नही है  उन्होंने सिर्फ और सिर्फ अपना अकेला पन  दूर करने के लिए  उस शख्स से शादी करली और मुझे अकेला कर  दिया। जबकी हम दोनों एक दूसरे का सहारा बन सकते थे , लेकिन फिर भी उन्होंने उस आदमी से शादी कर  ली " श्रुति ने नम आँखों से कहा


रुपाली जी उसके पास गयी  और बोली " बेटा ऐसे नही कहते है , तुम्हारी माँ की कोई ना कोई मजबूरी रही होगी जो उन्होंने इतना बड़ा  कदम उठाया  वरना एक औरत  के लिए  अपने पति  के मरने के बाद उसकी जगह किसी और को देना आसान  नही बेटा उन्हें माफ करदो  ज़रूर कोई वजह  रही होगी वरना  एक माँ कभी  इस तरह अपनी औलाद  को तन्हा नही छोड़ती  और माँ कभी स्वार्थी नही होती उसका सारा स्वार्थ उसके बच्चों में ही छिपा  होता है  "


"छोड़िये  आंटी  अब मुझे  उनकी ज़रुरत  नही, मेने अकेले जीना  सीख  लिया है  मेने उन्हें कब  का माफ किया वो अपनी ज़िन्दगी आराम  से जिए मुझे  कोई परवाह  नही " श्रुति ने कहा और खाना खाने लग  गयी  सब  लोग खाना  खाने लग  गए ।


"तुम लोग जल्दी खाना  खा कर  मेरे कमरे  में चलो और मुझे  बताओ  उस जगह के बारे में नही तो मैं तुम लोगो को घसीट कर  ले जाऊंगा सुबह से इंतज़ार  कर  रहा  हूँ " हंशित  ने कहा

"अरे बेटा उन्हें आराम  से खा लेने दो पहले  " रुपाली जी ने कहा


थोड़ी देर बाद सब  लोगो ने खाना  खाया  हंशित  उन्हें कमरे में ले जाने लगा  तब  ही श्रुति बोली " हम  लोग यही बैठेंगे दादी और आंटी  के साथ  यही  पर  बता  देंगे की क्या जगह चूस की है हम लोगो ने फोटोग्राफी  के लिए  "


"ठीक  है  मेरी माँ जैसी तेरी मर्ज़ी अब बता  भी  दो तुम लोग कि आखिर  ऐसी कौन सी जगह तुम लोगो ने ढूंढ  निकाली है  अब सस्पेंस खत्म करो  मेरा " हंशित ने कहा


सब  लोग सोफे पर  बैठे  थे । श्रुति ने लैपटॉप खोला  और कुछ सर्च किया और कुछ  तस्वीरे निकाल कर  सब  को दिखाई  और बोली केसी लगी  ये जगह


"वाओ बहुत  ही खूबसूरत जगह है  जरूर  कश्मीर या हिमाचल  प्रदेश  होगा " रुपाली जी ने कहा

"क्या जगह है  ये, वाकई तस्वीर में तो बहुत  खूबसूरत लग  रही है  " हंशित ने कहा


"ये जगह  है  उत्तराखंड  के पहाड़ो के बीच  जो की यहाँ से काफी दूर भी नही है  " लव  ने कहा


"उत्तराखंड  " हंशित  ने हैरानी से पूछा 

"हाँ, उत्तराखंड  यहाँ की वादियों में भी अलग मज़ा  है  जैसा कश्मीर और हिमाचल  में है  " श्रुति ने कहा एक गहरी सास लेकर


"अच्छा ये तो बता  ये जगह उत्तराखंड  में कहा है  " हंशित ने पूछा 

"ये जगह है  उत्तराखंड  में  पड़ने वाले पर्यटक स्थल  केदारनाथ , बद्रीनाथ  और भी  ना जाने कितनी जगह है  वहा  घूमने की " श्रुति ने कहा


"ये जगह मुझे  पसंद  आयी  इसका मतलब  हम  लोग जा रहे  है , मैं इंटरनेट पर  और जानकारी निकाल लूँगा  इस जगह की उसके बाद हम  लोग अभी  से तैयारी कर  लेंगे और तीन  महीने बाद रवाना  हो जाएंगे और खूब सारी तस्वीरे  खींच  कर  इस साल हो रही प्रतियोगिता का पुरुस्कार जीत लूँगा  तुम सब  तैयार हो ना " हंशित  ने कहा


"हाँ भाई  हम  सब  तैयार है  वहा  जाने के लिए  " उसके दोस्तों ने कहा। मैं तो बहुत ही खुश  हूँ वहा  जाने के लिए  पहाड़ो के बीच  मौज मस्ती ठंडी वादिया ऊँचे ऊँचे पहाड़  चारो और हरियाली ही हरियाली । श्रुति ने कहा


"क्या कहा तुमने केदारनाथ  जा रहे  हो बेटा वहा  जा रहे  हो तो ज़रूर तुम लोग कामयाब होकर ही लोटोगे वो तो भगवान का घर है , वहा  के कण कण में भगवान का वास है  वो जगह नही स्वर्ग है  " हेमलता  जी ने कहा


"बेटा जा रहे  हो तो वहा  स्थित शिव जी के मंदिर  भी  हो आना  देखो ये शायद  ईश्वर  का कोई इशारा  ही है  जो इतनी जगह होते हुए भी  तुम्हे केदारनाथ की ख़ूबसूरती ने अपनी और आकर्षित किया, बेटा अपने मन में ईश्वर की आस्था  जाग्रत करलो देखना  सब  काम आसान  हो जाएंगे " रुपाली जी ने कहा


"बस  माँ अब तुम शुरू  मत  हो जाना, मुझे  नही जाना किसी मंदिर , जब  मेरी उनमे आस्था  ही नही तो फिर मैं वहा  जाकर क्या करूंगा  और वैसे भी  हम  लोग वहा  घूमने  फिरने नही जा रहे  है  हमारा  काम है  इसलिए  जा रहे  है  कुछ  दिन वहा  रूककर  तस्वीरे  लेकर आ  जाएंगे अगर आप को यही सब  करना  है  तो फिर  हम  लोग कही  और चले  जाएंगे और भी  बहुत  खूबसूरत जगह  है  भारत  में सिर्फ एक वही  तो नही " हंशित  ने कहा


"रहने  दे बहु  जिसने इस को अपने पास बुलाने का विचार  मन में डाला है वो इसे अपने दर्शन  के लिए  भी  बुला लेगा। और देखना  जब  ये लोटेगा वहा  से तो इसके अंदर ईश्वर की आस्था  जाग्रत हो चुकी होगी। तू  रहने  दे बहु  वो सब  ठीक  कर  देगा " हेमलता  जी ने कहा


"लेकिन हंशित  भईया  मानसून  आने  वाला है तीन  महीने  बाद जब  आप  लोग वहा  जाएंगे तब  मानसून  आ  चुका  होगा और मेने सुना है  वहा  तो पल भर में मानसून का असर दिख  जाता है  और कभी  कभी  तो विकराल रूप भी  धारण कर  लेता है  " रजनी और कुछ  कहती  तब ही उसकी सास बोल पड़ी 


हाँ, बेटा बहु ठीक  कह  रही है , जब  तक  तो मानसून  आ  चुका  होगा और तुझे  तो बारिश  से कितना डर  लगता  है  वहा  मैं भी  नही हूँगी। मेरी मान मानसून  गुजरने के बाद चले  जाना मुझे  कुछ  अच्छा नही लग  रहा  वैसे तो तुम लोग ईश्वर की नगरी जा रहे  हो लेकिन फिर  भी माँ हूँ डर  तो लगता  ही है ।


"तू  डर  मत  बहु  सब  कुछ  ठीक  होगा हमारा  बेटा सही  सलामत  घर वापस  आएगा  देखना  ईश्वर  ने चाहा  तो " हेमलता  जी ने कहा


"माँ, अब मैं पुराने हादसों को याद नही करता  और रही  बात बारिश  से डरने की तो एक ना एक दिन मैं अपने इस डर पर  काबू  पा लूँगा  कब  तक  आप  मेरे साथ  रहोगी  मुझे  कड़कती बिजली और गरजते बादलो से बचाने  के लिए  माना उस हादसे ने मुझे तोड़ कर रख दिया था  जो की मेरी वजह  से हुआ था  उस रात ना मैं बारिश  में गाड़ी लेकर निकलता और ना वो हादसा होता। लेकिन माँ कब  तक  यूं ही डर  कर  अपनी ज़िन्दगी गुज़ारूंगा।" हंशित  ने कहा


"मेरा प्यारा बेटा, जा तू  जहाँ तुझे  जाना है । जो भी  बनना  है  तेरी माँ और उसकी दुआ हमेशा  तेरे साथ  रहेगी । मुझे  ख़ुशी है  की तू उस हादसे को भुला  कर  ज़िन्दगी में आगे  बढ़ने की कोशिश  कर  रहा  है  और देखना  एक दिन तू  सफल  जरूर  होगा।" रुपाली जी ने कहा


"बस भाई ये कोई फ़िल्म का भावुक  दृश्य नही चल  रहा  है  जो सबकी  आँखों में आंसू  आ  रहे  है , और वैसे भी  हम  लोग आज  या कल  नही जा रहे  है  तीन  महीने  बाद जा रहे  है  तब  तक  के लिए  इन आंसुओं को संभाल  कर  रखिये । और आंटी  आप  परेशान  मत  होइए  देखना  जब  ये वहा  से आएगा  तब ये अकेला नही किसी पहाड़  पर  रहने वाली लड़की का दिल चुरा  कर  लाएगा " जॉन ने कहा


ये सुन सब  लोग हसने  लगे ।

जॉन तुझे  तो मैं बाद में बताऊंगा । ये कह  कर  हंशित  उसके पीछे  दौड़ने लगा ।

जिसे देख  सब  लोग हसने  लगे । शाम  होने लगी  थी । हेमलता  जी सब  को खुश  देख  ईश्वर  का धन्यवाद करती है । तब  ही दरवाज़े पर  घंटी  बजती  है ।


आखिर कौन आया  था  जानने के लिए  पढ़ते  रहिये  



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17 Comments

Renu

29-Jul-2022 10:49 AM

बहुत ही सुन्दर

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Khan

28-Jul-2022 11:52 PM

😊😊

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Saba Rahman

28-Jul-2022 09:17 PM

Nice

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